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जो भरम उसे भरम, जो परम उसे परम || आचार्य प्रशांत, श्रीमद्भगवद्गीता पर (2017)

2019-11-29 2 Dailymotion

वीडियो जानकारी:<br /><br />शब्दयोग सत्संग<br />१५ जनवरी २०१७<br />महर्षि रमण केंद्र, दिल्ली<br /><br />श्लोक 4 .11:<br />ये यथा मां प्रपद्यन्ते तांस्तथैव भजाम्यहम्।<br />मम वर्त्मानुवर्तन्ते मनुष्याः पार्थ सर्वशः ॥ ११ ॥<br /><br />हे अर्जुन ! जो भक्त मुझे जिस प्रकार भजते हैं, मैं भी उनको उसी प्रकार भजता हूँ; क्योंकि सभी मनुष्य सब प्रकार<br />से मेरे ही मार्ग का अनुसरण करते हैं।<br /><br />प्रसंग:<br />कृष्ण ऐसा क्यों कह रहे है "जो मुझे जिस रूप में भजता है , मै भी उसे उसी रूप में भजता हूँ" ?<br />जो भरम उसे भरम, जो परम उसे परम का क्या आशय है?<br />हमारी जीवन में कृष्णत्व का क्यों अभाव है?<br />परम पर हमेशा इल्जाम क्यों ?

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